BAHI(N)121 SOLVED QUESTION PAPER 2024
LONG ANSWER TYPE QUESTIONS
प्रश्न 01 पर्यटन से आप क्या समझते हैं? पर्यटन के अध्ययन हेतु विभिन्न उपागमों का विस्तृत विवेचन कीजिए।
पर्यटन का अर्थ एवं अध्ययन हेतु विभिन्न उपागमों का विस्तृत विवेचन
पर्यटन का अर्थ
पर्यटन का अर्थ किसी व्यक्ति या समूह द्वारा अवकाश, मनोरंजन, व्यापार, सांस्कृतिक अनुभव, शिक्षा या अन्य उद्देश्यों से एक स्थान से दूसरे स्थान की यात्रा करने से है। यह यात्रा अस्थायी होती है और यात्री उस स्थान पर स्थायी रूप से निवास नहीं करता। पर्यटन का व्यापक प्रभाव समाज, अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर पड़ता है।
विश्व पर्यटन संगठन (WTO) के अनुसार, "पर्यटन में वे सभी गतिविधियाँ शामिल हैं जो लोग अपनी सामान्य दिनचर्या से बाहर किसी अन्य स्थान पर घूमने और रहने के लिए करते हैं, बशर्ते कि यह अवधि एक वर्ष से अधिक न हो।"
पर्यटन अध्ययन के प्रमुख उपागम
पर्यटन का अध्ययन विभिन्न दृष्टिकोणों से किया जाता है, जिन्हें पर्यटन अध्ययन के उपागम (Approaches) कहा जाता है। ये उपागम पर्यटन को विभिन्न दृष्टियों से समझने में सहायक होते हैं।
1. भौगोलिक उपागम (Geographical Approach)
इस उपागम में पर्यटन के भौगोलिक पहलुओं का अध्ययन किया जाता है। इसमें निम्नलिखित विषयों को शामिल किया जाता है:
पर्यटन स्थलों की स्थिति और भौगोलिक विशेषताएँ।
पर्यटन के लिए अनुकूल जलवायु और प्राकृतिक संसाधन।
पर्यावरणीय प्रभाव और सतत पर्यटन विकास।
2. आर्थिक उपागम (Economic Approach)
इस दृष्टिकोण के तहत पर्यटन के आर्थिक प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। इसमें निम्नलिखित बिंदु शामिल होते हैं:
पर्यटन उद्योग से होने वाली आय और रोजगार के अवसर।
विदेशी मुद्रा अर्जन में पर्यटन की भूमिका।
पर्यटन व्यय, निवेश और आर्थिक नीतियाँ।
3. समाजशास्त्रीय उपागम (Sociological Approach)
इस उपागम के अंतर्गत पर्यटन और समाज के बीच संबंधों का अध्ययन किया जाता है। इसके अंतर्गत शामिल विषय हैं:
पर्यटन का समाज और संस्कृति पर प्रभाव।
पर्यटन से स्थानीय समुदायों के जीवन पर प्रभाव।
सामाजिक मूल्यों और परंपराओं में परिवर्तन।
4. मनोवैज्ञानिक उपागम (Psychological Approach)
इस उपागम में पर्यटकों के व्यवहार, उनकी पसंद और यात्रा करने के कारणों का अध्ययन किया जाता है। इसमें निम्नलिखित बिंदु आते हैं:
यात्रियों की प्रेरणाएँ (Motivations) और उनकी अपेक्षाएँ।
पर्यटन अनुभव का मानसिक प्रभाव।
विभिन्न पर्यटकों की रुचियों और प्राथमिकताओं का विश्लेषण।
5. ऐतिहासिक उपागम (Historical Approach)
इस दृष्टिकोण में पर्यटन के ऐतिहासिक विकास को समझने पर बल दिया जाता है। इसमें निम्नलिखित विषय शामिल होते हैं:
प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक पर्यटन की प्रवृत्तियाँ।
ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों का महत्व।
विभिन्न कालखंडों में यात्रा करने के उद्देश्यों का अध्ययन।
6. प्रबंधन उपागम (Managerial Approach)
इस उपागम में पर्यटन के व्यवसायिक और प्रशासनिक पहलुओं का अध्ययन किया जाता है। इसमें शामिल विषय हैं:
पर्यटन विपणन और प्रचार-प्रसार।
पर्यटन व्यवसाय और आतिथ्य प्रबंधन।
पर्यटन नीतियाँ और सरकारी योजनाएँ।
7. पर्यावरणीय उपागम (Environmental Approach)
इस उपागम में पर्यटन के पर्यावरण पर प्रभाव का अध्ययन किया जाता है। इसमें निम्नलिखित विषयों को शामिल किया जाता है:
सतत पर्यटन (Sustainable Tourism) और पारिस्थितिकीय संतुलन।
पर्यटन से होने वाले पर्यावरणीय क्षति को कम करने के उपाय।
पारिस्थितिकीय पर्यटन (Eco-tourism) और ग्रीन टूरिज्म।
निष्कर्ष
पर्यटन केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि यह एक व्यापक गतिविधि है जो विभिन्न पहलुओं से जुड़ी हुई है। इसके अध्ययन के लिए विभिन्न उपागम अपनाए जाते हैं, जो पर्यटन को बहुआयामी दृष्टिकोण से समझने में सहायक होते हैं। भौगोलिक, आर्थिक, समाजशास्त्रीय, मनोवैज्ञानिक, ऐतिहासिक, प्रबंधन और पर्यावरणीय उपागम पर्यटन के प्रभावों को समझने और इसे विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन उपागमों का समग्र अध्ययन पर्यटन उद्योग को और अधिक प्रभावी बनाने में सहायक सिद्ध हो सकता है।
प्रश्न 02 पर्यटन अवसंरचना को समझाइए एवं पर्यटन के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
पर्यटन अवसंरचना एवं पर्यटन के प्रकार
पर्यटन अवसंरचना का अर्थ
पर्यटन अवसंरचना (Tourism Infrastructure) उन भौतिक और संगठनात्मक सुविधाओं का समुच्चय है जो पर्यटकों की आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायक होती हैं। इसमें परिवहन, आवास, खान-पान, मनोरंजन, संचार और सुरक्षा जैसी सुविधाएँ शामिल होती हैं। पर्यटन उद्योग के विकास के लिए मजबूत अवसंरचना आवश्यक होती है, क्योंकि यह पर्यटकों को सुगम और सुविधाजनक यात्रा अनुभव प्रदान करती है।
पर्यटन अवसंरचना के प्रमुख घटक
परिवहन (Transportation)
पर्यटन स्थल तक पहुँचने के लिए हवाई, रेल, सड़क और जल परिवहन आवश्यक होता है।
हवाई अड्डे, रेलवे स्टेशन, बस टर्मिनल और बंदरगाहों का विकास पर्यटन को बढ़ावा देता है।
आवास (Accommodation)
पर्यटकों के ठहरने के लिए होटलों, रिसॉर्ट्स, गेस्ट हाउस, धर्मशालाओं और होम-स्टे जैसी सुविधाएँ उपलब्ध होती हैं।
विभिन्न बजट और श्रेणी के होटल एवं लॉजिंग सेवाएँ पर्यटन अनुभव को प्रभावित करती हैं।
खान-पान (Food and Beverage Services)
स्थानीय व्यंजन, रेस्तरां, कैफे और स्ट्रीट फूड का पर्यटन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
पर्यटकों की पसंद और स्वाद के अनुसार भोजन सेवाओं का विकास आवश्यक है।
मनोरंजन और दर्शनीय स्थल (Entertainment and Attractions)
ऐतिहासिक स्थल, राष्ट्रीय उद्यान, तीर्थ स्थल, समुद्र तट, पर्वतीय स्थल और थीम पार्क आकर्षण का केंद्र होते हैं।
एडवेंचर स्पोर्ट्स, सांस्कृतिक कार्यक्रम और क्रूज़ टूरिज्म जैसी सुविधाएँ पर्यटन को प्रोत्साहित करती हैं।
संचार और सूचना प्रणाली (Communication and Information System)
इंटरनेट, मोबाइल नेटवर्क, टूरिस्ट हेल्पलाइन और सूचना केंद्रों का मजबूत होना आवश्यक है।
डिजिटल पर्यटन सेवाएँ (Online Booking, GPS Navigation, Virtual Tours) महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
स्वास्थ्य एवं सुरक्षा (Health and Safety)
चिकित्सा सुविधाओं, पुलिस सहायता, आपातकालीन सेवाओं और बीमा सुविधाओं का होना आवश्यक है।
पर्यटकों की सुरक्षा के लिए गाइडलाइंस और आपदा प्रबंधन की सुविधाएँ विकसित की जाती हैं।
वित्तीय एवं बैंकिंग सेवाएँ (Financial and Banking Services)
एटीएम, मुद्रा विनिमय (Currency Exchange) और डिजिटल भुगतान सेवाओं की उपलब्धता महत्वपूर्ण है।
क्रेडिट कार्ड और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन सुविधाएँ पर्यटकों के लिए सहायक होती हैं।
पर्यटन के प्रकार
पर्यटन को विभिन्न आधारों पर वर्गीकृत किया जा सकता है। मुख्य रूप से पर्यटन के निम्नलिखित प्रकार होते हैं:
1. उद्देश्य के आधार पर पर्यटन (Based on Purpose)
मनोरंजन पर्यटन (Recreational Tourism)
इसमें लोग छुट्टियाँ मनाने, आराम करने और आनंद लेने के लिए यात्रा करते हैं।
समुद्र तट, पर्वतीय स्थल, रिसॉर्ट्स आदि प्रमुख आकर्षण होते हैं।
सांस्कृतिक पर्यटन (Cultural Tourism)
ऐतिहासिक, धार्मिक, स्थापत्य और सांस्कृतिक धरोहरों को देखने के लिए की जाने वाली यात्रा।
उदाहरण: ताजमहल, खजुराहो, काशी, कुतुब मीनार आदि।
धार्मिक पर्यटन (Religious Tourism)
आध्यात्मिक शांति और धार्मिक स्थलों की यात्रा करने वाले पर्यटक इसमें आते हैं।
उदाहरण: चारधाम यात्रा, वैष्णो देवी, अमरनाथ, वृंदावन आदि।
स्वास्थ्य पर्यटन (Medical Tourism)
चिकित्सा उपचार, प्राकृतिक चिकित्सा, योग और आयुर्वेद के लिए की जाने वाली यात्रा।
भारत में केरल का आयुर्वेदिक पर्यटन और दिल्ली-मुंबई के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल प्रसिद्ध हैं।
व्यावसायिक पर्यटन (Business Tourism)
व्यापारिक मीटिंग, सम्मेलन, सेमिनार, प्रदर्शनियाँ और व्यापार मेलों में भाग लेने के लिए की जाने वाली यात्रा।
उदाहरण: इंटरनेशनल बिजनेस समिट, ट्रेड फेयर, कॉर्पोरेट टूरिज्म।
साहसिक पर्यटन (Adventure Tourism)
जोखिमपूर्ण और रोमांचकारी गतिविधियों के लिए किया जाने वाला पर्यटन।
उदाहरण: पर्वतारोहण, स्कीइंग, स्कूबा डाइविंग, जंगल सफारी आदि।
शैक्षिक पर्यटन (Educational Tourism)
अध्ययन, शोध, कार्यशालाओं और छात्र विनिमय कार्यक्रमों के लिए किया जाने वाला पर्यटन।
उदाहरण: विदेशों में उच्च शिक्षा के लिए यात्रा।
2. स्थान के आधार पर पर्यटन (Based on Destination)
आंतरिक पर्यटन (Domestic Tourism)
जब कोई व्यक्ति अपने ही देश के किसी स्थान पर पर्यटन करता है।
उदाहरण: दिल्ली से केरल घूमने जाना।
अंतरराष्ट्रीय पर्यटन (International Tourism)
जब कोई व्यक्ति अपने देश से बाहर किसी अन्य देश की यात्रा करता है।
उदाहरण: भारत से यूरोप घूमने जाना।
3. समयावधि के आधार पर पर्यटन (Based on Duration)
अल्पकालिक पर्यटन (Short-Term Tourism)
कुछ दिनों के लिए की जाने वाली यात्रा।
उदाहरण: वीकेंड ट्रिप, दो-तीन दिन की यात्रा।
दीर्घकालिक पर्यटन (Long-Term Tourism)
एक महीने या उससे अधिक समय तक की जाने वाली यात्रा।
उदाहरण: विदेशों में अध्ययन या रिसर्च टूरिज्म।
निष्कर्ष
पर्यटन अवसंरचना एक मजबूत पर्यटन उद्योग की आधारशिला होती है। यदि किसी देश की परिवहन, आवास, संचार और सुरक्षा जैसी सुविधाएँ बेहतर हों, तो वहाँ अधिक संख्या में पर्यटक आते हैं। इसी प्रकार, पर्यटन के विभिन्न प्रकारों को समझना पर्यटन उद्योग के विकास में सहायक होता है। मनोरंजन, सांस्कृतिक, धार्मिक, स्वास्थ्य, व्यावसायिक और साहसिक पर्यटन जैसे विभिन्न प्रकार की यात्राएँ पर्यटन उद्योग को बहुआयामी बनाती हैं। एक मजबूत पर्यटन नीति और प्रभावी अवसंरचना के माध्यम से पर्यटन को और अधिक विकसित किया जा सकता है।
प्रश्न 03 सतत् पर्यटन को बढ़ावा देने में विश्व व्यापार संगठन की भूमिका पर एक लेख लिखिए।
सतत् पर्यटन को बढ़ावा देने में विश्व व्यापार संगठन की भूमिका
भूमिका
सतत् पर्यटन (Sustainable Tourism) पर्यटन का एक ऐसा रूप है जो पर्यावरण, समाज और अर्थव्यवस्था के संतुलन को बनाए रखते हुए पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देता है। यह सुनिश्चित करता है कि प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण हो, स्थानीय समुदायों को आर्थिक लाभ मिले और पर्यावरण पर न्यूनतम नकारात्मक प्रभाव पड़े। इस संदर्भ में, विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization - WTO) की भूमिका महत्वपूर्ण है क्योंकि यह वैश्विक व्यापार और अर्थव्यवस्था को सुगठित करने के साथ-साथ पर्यटन उद्योग को भी सतत् विकास के मार्ग पर आगे बढ़ाने का कार्य करता है।
विश्व व्यापार संगठन (WTO) का परिचय
विश्व व्यापार संगठन (WTO) एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है जो वैश्विक व्यापार को सुचारू रूप से संचालित करने और विभिन्न देशों के बीच व्यापारिक विवादों के समाधान के लिए कार्य करती है। इसकी स्थापना 1 जनवरी 1995 को हुई थी और इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्जरलैंड में स्थित है। WTO का उद्देश्य मुक्त व्यापार को प्रोत्साहित करना, व्यापारिक नीतियों का समन्वय करना और वैश्विक आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।
सतत् पर्यटन को बढ़ावा देने में WTO की भूमिका
WTO सतत् पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न रणनीतियाँ अपनाता है, जिनमें व्यापारिक नीतियों, वित्तीय सहायता और पर्यावरणीय संरक्षण से संबंधित पहलें शामिल हैं।
1. सतत् पर्यटन के लिए व्यापारिक नीतियाँ
WTO वैश्विक स्तर पर पर्यटन से जुड़े व्यापारिक नियमों को सुगठित करता है ताकि देशों के बीच पर्यटन उद्योग में सहयोग को बढ़ावा दिया जा सके।
यह सुनिश्चित करता है कि पर्यटन उद्योग के विकास से जुड़ी नीतियाँ पर्यावरण और सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण के अनुकूल हों।
WTO, संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals - SDGs) के अनुरूप नीतियाँ बनाता है, जिससे सतत् पर्यटन को मजबूती मिलती है।
2. सतत् पर्यटन के लिए आर्थिक सहयोग
WTO पर्यटन क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए विकासशील और अल्पविकसित देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
यह पर्यटन व्यवसायों को व्यापार में आसानी (Ease of Doing Business) और मुक्त व्यापार समझौतों (Free Trade Agreements) के तहत सहायता प्रदान करता है।
WTO, पर्यटन उद्योग में लघु और मध्यम उद्योगों (SMEs) के विकास को प्रोत्साहित करता है ताकि स्थानीय समुदायों को रोजगार मिले।
3. पर्यावरण संरक्षण और सतत् पर्यटन
WTO पर्यावरणीय मानकों को लागू करने में मदद करता है ताकि पर्यटन उद्योग जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान न पहुँचाए।
यह "ग्रीन टूरिज्म" (Green Tourism) और "इको-टूरिज्म" (Eco-Tourism) जैसी अवधारणाओं को बढ़ावा देता है।
WTO, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए पर्यटन उद्योग में ऊर्जा कुशलता, कार्बन उत्सर्जन में कमी और प्लास्टिक मुक्त पर्यटन को प्रोत्साहित करता है।
4. सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण
WTO, UNESCO और UNWTO (United Nations World Tourism Organization) जैसे संगठनों के साथ मिलकर सांस्कृतिक धरोहर स्थलों की सुरक्षा के लिए काम करता है।
यह सुनिश्चित करता है कि पर्यटन गतिविधियाँ स्थानीय संस्कृति, परंपराओं और विरासत स्थलों को नुकसान न पहुँचाएँ।
WTO स्थानीय कारीगरों, शिल्पकारों और सांस्कृतिक कलाकारों को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन उद्योग में उनके उत्पादों और सेवाओं को बढ़ावा देता है।
5. डिजिटल और स्मार्ट पर्यटन को बढ़ावा
WTO, डिजिटल तकनीकों के उपयोग को प्रोत्साहित करता है जिससे पर्यटन उद्योग अधिक प्रभावी और पर्यावरण-अनुकूल बन सके।
यह "स्मार्ट टूरिज्म" (Smart Tourism) और "डिजिटल इको-टूरिज्म" (Digital Eco-Tourism) जैसी अवधारणाओं को बढ़ावा देता है।
WTO पर्यटन क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), बिग डेटा और ब्लॉकचेन जैसी तकनीकों के उपयोग को समर्थन देता है ताकि सतत् पर्यटन को बेहतर तरीके से संचालित किया जा सके।
6. पर्यटन उद्योग में सतत् रोजगार के अवसर
WTO यह सुनिश्चित करता है कि पर्यटन उद्योग में रोजगार के अवसर स्थायी और दीर्घकालिक हों।
यह महिला उद्यमियों और युवाओं को पर्यटन उद्योग में रोजगार दिलाने के लिए विशेष नीतियाँ बनाता है।
WTO सतत् पर्यटन के लिए शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाता है ताकि श्रमिकों को नई पर्यटन तकनीकों और नीतियों के अनुरूप तैयार किया जा सके।
निष्कर्ष
विश्व व्यापार संगठन (WTO) सतत् पर्यटन को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके द्वारा बनाई गई नीतियाँ, वित्तीय सहयोग, पर्यावरणीय मानकों, सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण, डिजिटल तकनीकों के उपयोग और सतत् रोजगार सृजन जैसी पहलें पर्यटन उद्योग को स्थायी रूप से विकसित करने में सहायक हैं।
WTO का उद्देश्य केवल पर्यटन क्षेत्र का आर्थिक विकास नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना भी है कि पर्यटन उद्योग पर्यावरण और समाज के लिए लाभकारी हो। यदि WTO और अन्य वैश्विक संस्थाएँ मिलकर सतत् पर्यटन के उद्देश्यों को सही ढंग से लागू करें, तो आने वाले वर्षों में पर्यटन न केवल एक प्रमुख आर्थिक गतिविधि बना रहेगा, बल्कि यह पृथ्वी और समाज के लिए भी एक सकारात्मक परिवर्तन का कारक बन सकता है।
प्रश्न 04 विभिन्न समय कालों में बदलते पर्यटन के स्वरूप का विवेचनात्मक वर्णन कीजिए।
विभिन्न समय कालों में बदलते पर्यटन के स्वरूप का विवेचनात्मक वर्णन
परिचय
पर्यटन का इतिहास अत्यंत प्राचीन है और इसका स्वरूप विभिन्न समय कालों में परिवर्तित होता रहा है। प्रारंभ में, मनुष्य भोजन, जलवायु और सुरक्षा की खोज में यात्रा करता था, लेकिन समय के साथ धार्मिक, व्यापारिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और मनोरंजन से जुड़े उद्देश्यों के कारण पर्यटन का विकास हुआ। आज, पर्यटन उद्योग वैश्विक अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है।
इस लेख में हम विभिन्न कालखंडों में पर्यटन के स्वरूप और उसके प्रमुख परिवर्तनों का विवेचनात्मक अध्ययन करेंगे।
1. प्राचीन काल का पर्यटन (प्रारंभिक युग से 5वीं शताब्दी तक)
(क) प्रारंभिक मानव और घुमंतू जीवन
प्रारंभिक मानव शिकारी-संग्राहक (Hunter-Gatherer) के रूप में घूमता था।
यह पर्यटन नहीं बल्कि जीवनयापन का एक साधन था।
(ख) सभ्यताओं का उदय और पर्यटन
जैसे-जैसे सभ्यताओं का विकास हुआ, व्यापार, युद्ध और धार्मिक कारणों से यात्रा प्रारंभ हुई।
प्राचीन मिस्र, सुमेर, मेसोपोटामिया, भारत और चीन में व्यापारिक मार्ग विकसित हुए।
नील नदी, सिंधु घाटी और यांग्त्ज़ी नदी के किनारे बसे नगरों में यात्राएँ बढ़ीं।
(ग) धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन का प्रारंभ
प्राचीन भारत में बौद्ध, जैन और हिंदू तीर्थ यात्राएँ प्रारंभ हुईं।
चीन में कन्फ्यूशियस और बौद्ध धर्म के अनुयायियों द्वारा धार्मिक स्थलों की यात्रा प्रचलित हुई।
यूनान और रोम में ओलंपिक खेलों और सांस्कृतिक आयोजनों के लिए पर्यटन बढ़ा।
2. मध्यकालीन पर्यटन (6वीं से 15वीं शताब्दी तक)
(क) धार्मिक पर्यटन का विस्तार
भारत में चारधाम यात्रा, काशी, गया, प्रयाग जैसे तीर्थ स्थलों की यात्राएँ लोकप्रिय हुईं।
इस्लाम के उदय के बाद हज यात्रा का महत्व बढ़ा।
यूरोप में ईसाई धर्म से जुड़े तीर्थयात्री यरूशलेम और रोम जाते थे।
(ख) व्यापारिक पर्यटन का विकास
इस काल में व्यापारिक मार्गों का विस्तार हुआ, जिससे व्यापारिक पर्यटन को बढ़ावा मिला।
प्रसिद्ध "रेशम मार्ग" (Silk Route) के माध्यम से चीन, भारत और यूरोप के बीच व्यापार हुआ।
अरब यात्री इब्न बतूता और इतालवी यात्री मार्को पोलो ने अपने यात्रा-वृत्तांत लिखे।
(ग) शिक्षा और ज्ञान-विज्ञान के लिए पर्यटन
नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालयों में अध्ययन के लिए विदेशी छात्र आते थे।
यूरोप में पुनर्जागरण (Renaissance) काल में विद्वानों और कलाकारों का पर्यटन बढ़ा।
3. औद्योगिक युग का पर्यटन (16वीं से 19वीं शताब्दी तक)
(क) भौगोलिक खोजों और वैश्विक पर्यटन का विस्तार
कोलंबस, वास्को डी गामा, मैगेलन जैसे खोजयात्रियों ने नए मार्गों की खोज की।
भारत, अमेरिका और अफ्रीका में उपनिवेशवाद बढ़ा, जिससे व्यापारिक और प्रशासनिक पर्यटन को बढ़ावा मिला।
(ख) स्वास्थ्य पर्यटन का विकास
यूरोप में लोग औषधीय जल स्रोतों (Hot Springs) और जलवायु परिवर्तन के लिए यात्रा करने लगे।
हिमालय और यूरोप के पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य लाभ के लिए यात्रा प्रचलित हुई।
(ग) यातायात साधनों का विकास
रेलवे, स्टीमर और बाद में मोटर गाड़ियों का विकास हुआ, जिससे पर्यटन सुविधाजनक बना।
ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी में अमीर वर्ग के लोग गर्मी की छुट्टियों में समुद्र तटों और पहाड़ी स्थलों की यात्रा करने लगे।
4. आधुनिक पर्यटन (20वीं से 21वीं शताब्दी तक)
(क) परिवहन और प्रौद्योगिकी का विकास
20वीं शताब्दी में वायुयान सेवा (Aviation Industry) के विकास से पर्यटन तेज हुआ।
अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन के लिए वीज़ा और पासपोर्ट प्रणाली लागू हुई।
डिजिटल तकनीक और इंटरनेट के माध्यम से पर्यटन अधिक सुगम हुआ।
(ख) पर्यटन के विभिन्न प्रकारों का उदय
मनोरंजन पर्यटन: समुद्र तट, पर्वतीय क्षेत्रों और जंगल सफारी का आकर्षण बढ़ा।
व्यापारिक पर्यटन: कॉर्पोरेट मीटिंग, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले और सम्मेलनों के कारण यह पर्यटन लोकप्रिय हुआ।
साहसिक पर्यटन: पर्वतारोहण, स्कूबा डाइविंग, ट्रैकिंग, स्कीइंग जैसे एडवेंचर स्पोर्ट्स लोकप्रिय हुए।
चिकित्सा पर्यटन: भारत, थाईलैंड और सिंगापुर जैसे देश मेडिकल टूरिज्म के हब बने।
(ग) वैश्वीकरण और सतत् पर्यटन
पर्यटन उद्योग एक प्रमुख आर्थिक क्षेत्र बना और वैश्विक जीडीपी में योगदान देने लगा।
21वीं शताब्दी में सतत् पर्यटन (Sustainable Tourism) और इको-टूरिज्म (Eco-Tourism) को बढ़ावा दिया गया।
पर्यावरण संरक्षण, सांस्कृतिक धरोहरों की सुरक्षा और स्थानीय समुदायों की भागीदारी को प्राथमिकता दी जाने लगी।
निष्कर्ष
पर्यटन का स्वरूप विभिन्न समय कालों में सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक और वैज्ञानिक परिवर्तनों के अनुरूप बदलता रहा है। प्रारंभ में यह जीविका और धार्मिक उद्देश्य से संचालित होता था, लेकिन औद्योगिक क्रांति और आधुनिक तकनीक के विकास ने इसे एक विशाल उद्योग में परिवर्तित कर दिया।
आज, पर्यटन न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि यह आर्थिक विकास, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और सतत् विकास का भी एक महत्वपूर्ण कारक बन गया है। भविष्य में, डिजिटल पर्यटन, अंतरिक्ष पर्यटन और सतत् पर्यटन की अवधारणाएँ पर्यटन उद्योग को नई ऊँचाइयों तक ले जाने में सहायक होंगी।
प्रश्न 05 पर्यटन उद्योग में सम्मिलित प्रमुख घटकों पर एक विस्तृत चर्चा कीजिए।
पर्यटन उद्योग में सम्मिलित प्रमुख घटकों पर विस्तृत चर्चा
भूमिका
पर्यटन उद्योग वैश्विक अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो विभिन्न सेवाओं और सुविधाओं के माध्यम से यात्रियों की आवश्यकताओं को पूरा करता है। यह उद्योग केवल यात्राओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें आवास, परिवहन, खान-पान, मनोरंजन और कई अन्य सेवाएँ भी शामिल होती हैं। पर्यटन उद्योग के सफल संचालन के लिए इसके विभिन्न घटकों का आपस में सुचारू समन्वय आवश्यक होता है।
इस लेख में हम पर्यटन उद्योग के प्रमुख घटकों का विस्तृत अध्ययन करेंगे।
पर्यटन उद्योग के प्रमुख घटक
1. परिवहन (Transportation)
परिवहन पर्यटन उद्योग का सबसे महत्वपूर्ण घटक है क्योंकि यह यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुँचाने में सहायता करता है। परिवहन के बिना पर्यटन संभव नहीं है।
(क) हवाई परिवहन (Air Transport)
अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू उड़ानों के माध्यम से यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुँचाया जाता है।
प्रमुख एयरलाइंस, चार्टर फ्लाइट्स और लो-कॉस्ट कैरियर्स (LCC) पर्यटन उद्योग में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
हवाई अड्डों की आधुनिक सुविधाएँ पर्यटन को बढ़ावा देती हैं।
(ख) रेल परिवहन (Rail Transport)
पर्यटन स्थलों तक पहुँचने के लिए ट्रेनें एक प्रमुख माध्यम हैं।
भारत में "पैलेस ऑन व्हील्स", "महाराजा एक्सप्रेस" जैसी लक्ज़री ट्रेनें पर्यटन को आकर्षित करती हैं।
यूरोप में "इंटरसिटी एक्सप्रेस" और जापान में "बुलेट ट्रेन" यात्रियों को शीघ्रता से गंतव्य तक पहुँचाती हैं।
(ग) सड़क परिवहन (Road Transport)
बस, टैक्सी, कार रेंटल और टूरिस्ट कोच द्वारा यात्रियों को पर्यटन स्थलों तक पहुँचाया जाता है।
हाइवे और एक्सप्रेसवे के विकास से पर्यटन स्थलों की यात्रा सुविधाजनक हो गई है।
(घ) जल परिवहन (Water Transport)
क्रूज़ पर्यटन, नौका सेवाएँ और समुद्री पर्यटन इस श्रेणी में आते हैं।
मालदीव, केरल का बैकवॉटर पर्यटन और यूरोप की रिवर क्रूज़िंग प्रसिद्ध है।
2. आवास और आतिथ्य (Accommodation & Hospitality)
यात्रियों को ठहरने के लिए उपयुक्त स्थान उपलब्ध कराना पर्यटन उद्योग का एक महत्वपूर्ण घटक है।
(क) होटल और रिसॉर्ट्स (Hotels & Resorts)
लक्ज़री होटल (5 स्टार, 7 स्टार), बजट होटल, बुटीक होटल, बिजनेस होटल आदि शामिल हैं।
पर्यटन स्थलों के निकट रिसॉर्ट्स (बीच रिसॉर्ट्स, हिल रिसॉर्ट्स) पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
(ख) हॉम-स्टे और गेस्ट हाउस (Home-stay & Guest Houses)
स्थानीय परिवारों के साथ ठहरने की सुविधा प्रदान की जाती है, जिससे सांस्कृतिक अनुभव बढ़ता है।
बजट यात्रियों के लिए यह एक किफायती विकल्प होता है।
(ग) हॉस्टल और धर्मशालाएँ (Hostels & Dharamshalas)
युवा यात्रियों और बैकपैकर पर्यटकों के लिए यह एक सस्ता और सुविधाजनक विकल्प है।
धार्मिक पर्यटन स्थलों पर धर्मशालाएँ उपलब्ध होती हैं।
(घ) कैम्पिंग और ईको-लॉज (Camping & Eco-Lodges)
प्रकृति प्रेमियों के लिए जंगल सफारी, पर्वतीय क्षेत्रों और राष्ट्रीय उद्यानों में यह सुविधा प्रदान की जाती है।
ईको-लॉज पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए बनाए जाते हैं।
3. खान-पान और रेस्तरां (Food & Beverage Industry)
पर्यटन में खान-पान का भी महत्वपूर्ण स्थान होता है क्योंकि यह किसी भी स्थान की संस्कृति को दर्शाता है।
(क) स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय रेस्तरां (Local & International Restaurants)
पर्यटक विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का आनंद लेने के लिए रेस्तरां में जाते हैं।
पर्यटन स्थलों पर स्थानीय व्यंजन विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र होते हैं।
(ख) स्ट्रीट फूड और कैफे (Street Food & Cafés)
सस्ती और स्वादिष्ट खाद्य सामग्री पर्यटकों को लुभाती है।
भारत में चाट, समोसा, डोसा जैसे स्ट्रीट फूड प्रसिद्ध हैं।
(ग) थीम आधारित रेस्तरां (Theme-Based Restaurants)
ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पारंपरिक थीम पर आधारित रेस्तरां पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
जंगल थीम, राजस्थानी थीम और समुद्री थीम वाले रेस्तरां लोकप्रिय हैं।
4. पर्यटन आकर्षण (Tourist Attractions)
पर्यटन स्थलों की लोकप्रियता उनके प्राकृतिक सौंदर्य, सांस्कृतिक धरोहर, धार्मिक महत्व और ऐतिहासिक विरासत पर निर्भर करती है।
(क) प्राकृतिक आकर्षण (Natural Attractions)
पहाड़, झील, समुद्र तट, जंगल, झरने, राष्ट्रीय उद्यान आदि।
हिमालय, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, ग्रेट बैरियर रीफ आदि प्रसिद्ध हैं।
(ख) सांस्कृतिक और ऐतिहासिक आकर्षण (Cultural & Historical Attractions)
किले, महल, मंदिर, संग्रहालय, पुरातात्विक स्थल आदि।
ताजमहल, कुतुब मीनार, अजंता-एलोरा की गुफाएँ, ग्रेट वॉल ऑफ चाइना आदि प्रसिद्ध हैं।
(ग) धार्मिक स्थल (Religious Destinations)
चारधाम यात्रा, हरिद्वार, अमृतसर का स्वर्ण मंदिर, मक्का-मदीना, वेटिकन सिटी आदि।
(घ) थीम पार्क और मनोरंजन केंद्र (Theme Parks & Entertainment Centers)
डिज्नीलैंड, यूनिवर्सल स्टूडियोज, वाटर पार्क, एडवेंचर पार्क आदि।
5. यात्रा और टूर एजेंसियाँ (Travel & Tour Agencies)
यात्रियों की सुविधा के लिए यात्रा योजनाओं का निर्माण करने और सुविधाएँ प्रदान करने में ये कंपनियाँ महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
(क) टूर ऑपरेटर (Tour Operators)
विभिन्न पर्यटन स्थलों के लिए पैकेज टूर उपलब्ध कराते हैं।
फ्लाइट बुकिंग, होटल आरक्षण, गाइड सेवाएँ प्रदान करते हैं।
(ख) ट्रैवल एजेंसियाँ (Travel Agencies)
पर्यटकों को टिकट, वीज़ा, बीमा आदि सेवाएँ प्रदान करती हैं।
ऑनलाइन ट्रैवल एजेंसियाँ (OTA) जैसे MakeMyTrip, Expedia, TripAdvisor इस क्षेत्र में सक्रिय हैं।
निष्कर्ष
पर्यटन उद्योग विभिन्न घटकों का समावेश करके संचालित होता है। परिवहन, आवास, खान-पान, पर्यटन स्थल और यात्रा सेवाएँ इस उद्योग की रीढ़ हैं। इन घटकों के समुचित विकास से न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलता है बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलती है।
भविष्य में, डिजिटल तकनीक, सतत् पर्यटन और स्मार्ट टूरिज्म जैसी अवधारणाएँ पर्यटन उद्योग को और अधिक विकसित करने में सहायक होंगी।
SHORT ANSWER TYPE QUESTIONS
प्रश्न 01 यात्रा एवं पर्यटन में अंतर बताइए।
यात्रा (Travel) और पर्यटन (Tourism) दोनों ही एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने से संबंधित हैं, लेकिन इनके उद्देश्यों, प्रकारों और प्रभावों में महत्वपूर्ण अंतर होता है।
1. परिभाषा:
यात्रा (Travel): जब कोई व्यक्ति किसी कार्य, शिक्षा, व्यवसाय, धार्मिक उद्देश्य या व्यक्तिगत कारणों से एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाता है, तो उसे यात्रा कहते हैं।
पर्यटन (Tourism): जब कोई व्यक्ति अवकाश, मनोरंजन या खोजबीन के उद्देश्य से किसी स्थान की यात्रा करता है, तो उसे पर्यटन कहा जाता है।
2. उद्देश्य:
यात्रा: कार्य, शिक्षा, व्यापार, चिकित्सा, तीर्थयात्रा, परिवार से मिलने आदि उद्देश्यों के लिए की जाती है।
पर्यटन: अवकाश, रोमांच, सांस्कृतिक अनुभव, मनोरंजन और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने के लिए किया जाता है।
3. अवधि:
यात्रा: यह लंबी या छोटी अवधि की हो सकती है, लेकिन इसमें अक्सर जल्दी लौटने की प्रवृत्ति होती है।
पर्यटन: आमतौर पर पर्यटन एक निर्धारित समय के लिए किया जाता है, जो कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों तक हो सकता है।
4. आर्थिक प्रभाव:
यात्रा: यात्रा से स्थानीय अर्थव्यवस्था पर उतना बड़ा प्रभाव नहीं पड़ता, क्योंकि यह व्यक्तिगत या व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए होती है।
पर्यटन: पर्यटन से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है, क्योंकि पर्यटक होटल, रेस्तरां, परिवहन, और अन्य सेवाओं पर खर्च करते हैं।
5. सामाजिक एवं सांस्कृतिक प्रभाव:
यात्रा: यात्री आमतौर पर गंतव्य स्थान के लोगों के साथ सीमित समय के लिए संपर्क में आते हैं।
पर्यटन: पर्यटन से विभिन्न संस्कृतियों का आदान-प्रदान होता है और यह स्थानीय परंपराओं को बढ़ावा देता है।
6. यात्रा के साधन:
यात्रा: इसमें व्यक्ति किसी भी उपलब्ध साधन (बस, ट्रेन, विमान, निजी वाहन) से यात्रा कर सकता है।
पर्यटन: पर्यटन में विशेष साधनों (टूर पैकेज, क्रूज, लक्ज़री ट्रेन, गाइडेड टूर) का उपयोग किया जाता है।
निष्कर्ष:
यात्रा और पर्यटन दोनों में मुख्य अंतर उद्देश्य, अवधि, प्रभाव और अनुभव के आधार पर होता है। यात्रा किसी विशेष उद्देश्य से की जाती है, जबकि पर्यटन अवकाश और आनंद के लिए किया जाता है। दोनों का समाज और अर्थव्यवस्था पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है।
प्रश्न 02 ऐतिहासिक पर्यटन के महत्त्व पर चर्चा कीजिए।
ऐतिहासिक पर्यटन के महत्त्व पर चर्चा
परिचय:
ऐतिहासिक पर्यटन (Historical Tourism) वह यात्रा है, जिसमें लोग ऐतिहासिक स्थलों, पुरातात्विक धरोहरों और सांस्कृतिक विरासत को देखने और समझने के उद्देश्य से यात्रा करते हैं। यह पर्यटन न केवल अतीत को जानने का अवसर प्रदान करता है, बल्कि सांस्कृतिक और आर्थिक विकास में भी योगदान देता है।
ऐतिहासिक पर्यटन का महत्त्व
1. ऐतिहासिक ज्ञान और शिक्षा का स्रोत
ऐतिहासिक पर्यटन से लोगों को प्राचीन सभ्यताओं, ऐतिहासिक घटनाओं, युद्धों, राजवंशों और सांस्कृतिक परंपराओं के बारे में जानने का अवसर मिलता है। यह पर्यटन पुस्तकों और पाठ्य सामग्रियों से अलग एक व्यावहारिक अनुभव प्रदान करता है।
2. सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण
ऐतिहासिक पर्यटन से ऐतिहासिक स्थलों और धरोहरों को संरक्षित करने में सहायता मिलती है। जब लोग इन स्थलों की यात्रा करते हैं, तो सरकारें और स्थानीय प्रशासन उनके रखरखाव के लिए अधिक ध्यान देते हैं, जिससे ये धरोहरें आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रहती हैं।
3. स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा
ऐतिहासिक पर्यटन स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाता है। पर्यटक होटलों, गाइड सेवाओं, स्थानीय दुकानों और हस्तशिल्प वस्तुओं पर खर्च करते हैं, जिससे रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होते हैं और स्थानीय व्यापार को बढ़ावा मिलता है।
4. सांस्कृतिक आदान-प्रदान
ऐतिहासिक पर्यटन से विभिन्न संस्कृतियों के बीच संपर्क और संवाद बढ़ता है। जब पर्यटक अलग-अलग स्थानों की यात्रा करते हैं, तो वे वहां की भाषा, परंपराएँ, भोजन और रीति-रिवाजों से परिचित होते हैं, जिससे आपसी समझ और सहिष्णुता बढ़ती है।
5. राष्ट्रीय गौरव और पहचान को मजबूत करना
ऐतिहासिक पर्यटन किसी भी देश के नागरिकों को अपनी ऐतिहासिक धरोहरों पर गर्व करने का अवसर प्रदान करता है। इससे राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक पहचान को बढ़ावा मिलता है।
6. पर्यटन उद्योग का विकास
ऐतिहासिक स्थलों की लोकप्रियता बढ़ने से पर्यटन उद्योग में निवेश बढ़ता है। सरकारें इन स्थलों का प्रचार-प्रसार करती हैं, जिससे पर्यटन सुविधाओं में सुधार होता है और अधिक पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकता है।
7. पर्यावरण और धरोहर संरक्षण में योगदान
ऐतिहासिक पर्यटन से लोगों में धरोहरों के प्रति जागरूकता बढ़ती है। जब लोग ऐतिहासिक स्थलों का महत्व समझते हैं, तो वे उनके संरक्षण के लिए अधिक संवेदनशील होते हैं और सरकार से उनके संरक्षण की मांग करते हैं।
निष्कर्ष:
ऐतिहासिक पर्यटन न केवल अतीत को जीवंत बनाता है, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह ज्ञानवर्धक, रोमांचक और प्रेरणादायक अनुभव प्रदान करता है, जो इतिहास और विरासत को संरक्षित रखने में सहायक होता है। सरकारों और समाज को इसे बढ़ावा देना चाहिए ताकि हमारी ऐतिहासिक धरोहरें सुरक्षित रह सकें और आने वाली पीढ़ियां उनसे सीख सकें।
प्रश्न 03 पर्यटन अवसरंचना एवं अधिसंरचना के विकास और रखरखाव में राज्य की भूमिका पर लेख लिखिए।
पर्यटन अवसरंचना एवं अधिसंरचना के विकास और रखरखाव में राज्य की भूमिका
परिचय:
पर्यटन किसी भी देश या राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण साधन है। पर्यटन के विकास के लिए उपयुक्त अवसरंचना (Infrastructure) और अधिसंरचना (Superstructure) की आवश्यकता होती है। इन दोनों के विकास और रखरखाव में राज्य की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, क्योंकि एक मजबूत पर्यटन अधोसंरचना न केवल पर्यटकों को आकर्षित करती है बल्कि स्थानीय समुदाय को भी लाभ पहुँचाती है।
पर्यटन अवसरंचना एवं अधिसंरचना का महत्व
पर्यटन अवसरंचना में सड़कें, हवाई अड्डे, रेलवे, परिवहन सेवाएँ, जल आपूर्ति, संचार सुविधाएँ आदि शामिल होती हैं। जबकि अधिसंरचना में होटल, रिसॉर्ट, रेस्तरां, मनोरंजन स्थल, गाइड सेवाएँ और अन्य पर्यटन-संबंधी सुविधाएँ आती हैं। इन दोनों के संतुलित विकास से पर्यटन उद्योग को गति मिलती है।
राज्य की भूमिका
1. बुनियादी सुविधाओं का विकास
राज्य सरकारें पर्यटन स्थलों तक पहुँचने के लिए बेहतर सड़कें, रेलवे और हवाई मार्गों का निर्माण एवं विस्तार करती हैं। साथ ही जल आपूर्ति, स्वच्छता, संचार और बिजली जैसी आवश्यक सुविधाओं को सुनिश्चित करती हैं।
2. पर्यटन स्थलों का संरक्षण एवं संवर्धन
राज्य सरकारें ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों को संरक्षित रखने के लिए विशेष योजनाएँ बनाती हैं। पुरातात्विक स्थलों, अभयारण्यों, धार्मिक स्थलों और अन्य पर्यटन आकर्षणों की देखरेख के लिए उचित नीतियाँ अपनाई जाती हैं।
3. निवेश और निजी क्षेत्र की भागीदारी
राज्य सरकारें पर्यटन क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए अनुकूल नीतियाँ बनाती हैं। होटल, रिसॉर्ट, थीम पार्क और अन्य पर्यटन सुविधाओं के निर्माण के लिए निजी कंपनियों को प्रोत्साहित किया जाता है।
4. पर्यटकों की सुरक्षा और सुविधा
पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राज्य पुलिस और विशेष पर्यटन पुलिस बलों की तैनाती की जाती है। आपातकालीन चिकित्सा सेवाएँ, हेल्पलाइन नंबर और सूचना केंद्रों की स्थापना भी सरकार की जिम्मेदारी होती है।
5. स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण
राज्य सरकारें पर्यटन स्थलों की सफाई, कचरा प्रबंधन और हरित पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विशेष पहल करती हैं। प्लास्टिक प्रतिबंध, जल संरक्षण और पारिस्थितिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नियम बनाए जाते हैं।
6. डिजिटल और स्मार्ट पर्यटन को बढ़ावा
राज्य सरकारें आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके ऑनलाइन बुकिंग, वर्चुअल टूर, डिजिटल गाइड और स्मार्ट पर्यटन ऐप्स विकसित करती हैं, जिससे पर्यटकों को अधिक सुविधाएँ मिलती हैं।
7. सांस्कृतिक और लोक पर्यटन को प्रोत्साहन
राज्य स्थानीय त्योहारों, मेलों, हेरिटेज वॉक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करके लोक कला और परंपराओं को बढ़ावा देती है, जिससे स्थानीय कलाकारों और व्यवसायों को भी लाभ मिलता है।
निष्कर्ष:
पर्यटन अवसरंचना और अधिसंरचना के विकास और रखरखाव में राज्य की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। अच्छी बुनियादी सुविधाएँ, पर्यटन स्थलों का संरक्षण, निवेश प्रोत्साहन, पर्यटकों की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण जैसे कारकों पर राज्य सरकारों द्वारा विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। एक मजबूत पर्यटन अधोसंरचना न केवल आर्थिक विकास को गति देती है बल्कि सांस्कृतिक विरासत और पर्यावरण संतुलन को भी बनाए रखती है।
प्रश्न 04 भारत में पर्यटन के विकास के लिए गठित विभिन्न समितियों के स्वरूप पर चर्चा कीजिए।
भारत में पर्यटन के विकास के लिए गठित विभिन्न समितियों के स्वरूप पर चर्चा
परिचय:
भारत में पर्यटन उद्योग के विकास को संगठित और संरचित रूप देने के लिए समय-समय पर विभिन्न समितियों का गठन किया गया है। ये समितियाँ पर्यटन नीति निर्माण, अवसंरचना विकास, विपणन रणनीति, सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण और सतत पर्यटन (Sustainable Tourism) को बढ़ावा देने में सहायक रही हैं।
पर्यटन विकास के लिए गठित प्रमुख समितियाँ और उनका स्वरूप
1. नारायणन समिति (1988)
उद्देश्य:
भारत में पर्यटन नीति की रूपरेखा तैयार करना।
पर्यटन क्षेत्र में सरकारी और निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देना।
मुख्य सिफारिशें:
अंतरराष्ट्रीय पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हवाई अड्डों और बुनियादी ढाँचे का विकास।
पर्यटन के लिए विशेष आर्थिक ज़ोन (SEZ) की अवधारणा लागू करना।
पर्यटन को एक उद्योग का दर्जा देने की सिफारिश।
2. सूर्यनारायण समिति (1992)
उद्देश्य:
पर्यटन में विदेशी निवेश की संभावनाओं का अध्ययन करना।
भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों की पहचान और उनके विकास के लिए योजनाएँ तैयार करना।
मुख्य सिफारिशें:
विश्वस्तरीय होटलों, रिसॉर्ट्स और परिवहन सुविधाओं का विकास।
हेरिटेज पर्यटन और एडवेंचर टूरिज्म को बढ़ावा देना।
ग्रामीण और इको-टूरिज्म के लिए सरकारी सहायता प्रदान करना।
3. रिजवी समिति (2001)
उद्देश्य:
पर्यटन क्षेत्र में आतिथ्य और सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार।
भारतीय पर्यटन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना।
मुख्य सिफारिशें:
पर्यटन प्रशिक्षण और कौशल विकास को बढ़ावा देना।
ऐतिहासिक और धार्मिक पर्यटन स्थलों का आधुनिकीकरण।
ऑनलाइन पर्यटन सेवाओं और डिजिटल मार्केटिंग पर बल देना।
4. अमिताभ कांत समिति (2013)
उद्देश्य:
भारत में पर्यटन को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए नई रणनीतियाँ विकसित करना।
"इन्क्रेडिबल इंडिया" अभियान को सशक्त बनाना।
मुख्य सिफारिशें:
ई-वीजा और डिजिटल सेवाओं का विस्तार।
हेरिटेज और मेडिकल टूरिज्म को विकसित करना।
भारत में ‘थीम-आधारित पर्यटन’ (जैसे आध्यात्मिक, एडवेंचर, इको-टूरिज्म) को बढ़ावा देना।
5. नैशनल टूरिज्म पॉलिसी ड्राफ्ट कमेटी (2015)
उद्देश्य:
सतत (Sustainable) और समावेशी (Inclusive) पर्यटन विकास के लिए नीति निर्माण।
भारतीय पर्यटन की ब्रांडिंग और प्रचार-प्रसार।
मुख्य सिफारिशें:
ग्रामीण और आदिवासी पर्यटन को प्रोत्साहित करना।
राज्यों को पर्यटन विकास में अधिक स्वायत्तता प्रदान करना।
पर्यटन के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) को बढ़ावा देना।
निष्कर्ष:
भारत में पर्यटन के विकास के लिए गठित समितियों ने पर्यटन नीति, बुनियादी ढांचे के विकास, विपणन रणनीतियों और सतत पर्यटन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इन समितियों की सिफारिशों के आधार पर भारत सरकार ने पर्यटन क्षेत्र को आर्थिक विकास का एक प्रमुख अंग बनाने के लिए विभिन्न योजनाएँ और पहल शुरू की हैं। इन प्रयासों से भारत वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर एक प्रमुख गंतव्य के रूप में उभर रहा है।
प्रश्न 05 पर्यटन के पारंपरिक संसाधनों पर चर्चा कीजिए।
पर्यटन के पारंपरिक संसाधनों पर चर्चा
परिचय:
पर्यटन का विकास किसी भी स्थान की प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक धरोहर और ऐतिहासिक महत्व पर निर्भर करता है। भारत जैसे देश में, जहाँ विविधता और परंपराएँ समृद्ध हैं, पर्यटन के पारंपरिक संसाधनों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। ये संसाधन न केवल पर्यटकों को आकर्षित करते हैं बल्कि स्थानीय समुदायों की आर्थिक और सांस्कृतिक पहचान को भी सशक्त बनाते हैं।
पर्यटन के प्रमुख पारंपरिक संसाधन
1. प्राकृतिक संसाधन
प्राकृतिक संसाधन पर्यटन के सबसे महत्वपूर्ण कारक होते हैं, जो पर्यटकों को आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनमें शामिल हैं:
पहाड़ और पर्वतीय स्थल: हिमालय, पश्चिमी घाट, अरावली, नीलगिरी आदि।
नदियाँ और झीलें: गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, डल झील, चिल्का झील आदि।
समुद्र तट: गोवा, केरल, पुडुचेरी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के समुद्र तट।
वन्यजीव अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान: जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क, काजीरंगा, सुंदरबन आदि।
2. ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संसाधन
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरें किसी भी स्थान के पर्यटन आकर्षण को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इनमें शामिल हैं:
प्राचीन मंदिर और धार्मिक स्थल: काशी विश्वनाथ, सोमनाथ, बद्रीनाथ, रामेश्वरम, स्वर्ण मंदिर।
किले और महल: लाल किला, आमेर किला, मैसूर महल, ग्वालियर किला।
स्मारक और ऐतिहासिक स्थल: ताजमहल, कुतुब मीनार, एलोरा-अजंता की गुफाएँ, हंपी।
लोक कला और परंपराएँ: राजस्थान, गुजरात, असम, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों की पारंपरिक लोककलाएँ, नृत्य, संगीत और हस्तशिल्प।
3. धार्मिक और आध्यात्मिक संसाधन
भारत को आध्यात्मिक पर्यटन का केंद्र माना जाता है। यहाँ विभिन्न धर्मों के प्रमुख तीर्थ स्थल हैं, जो श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं।
हिंदू तीर्थ स्थल: वाराणसी, प्रयागराज, हरिद्वार, चारधाम यात्रा (बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री)।
बौद्ध तीर्थ स्थल: बोधगया, सारनाथ, कुशीनगर, लुंबिनी।
जैन और सिख तीर्थ स्थल: रणकपुर, शिखरजी, अमृतसर का स्वर्ण मंदिर।
मुस्लिम और ईसाई धार्मिक स्थल: अजमेर शरीफ दरगाह, हजरत निजामुद्दीन दरगाह, वेल्लांकन्नी चर्च।
4. पारंपरिक मेले और उत्सव
भारत में कई पारंपरिक मेले और उत्सव पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
धार्मिक मेले: कुंभ मेला, पुष्कर मेला, गंगा सागर मेला।
सांस्कृतिक उत्सव: राजस्थान का डेजर्ट फेस्टिवल, नागालैंड का हॉर्नबिल फेस्टिवल।
फसल उत्सव: बिहू, पोंगल, लोहड़ी, ओणम।
5. पारंपरिक हस्तशिल्प और कारीगरी
भारत के विभिन्न राज्यों की पारंपरिक हस्तशिल्प और कारीगरी भी पर्यटन का प्रमुख संसाधन हैं।
बनारसी साड़ी, चंदेरी और कांजीवरम सिल्क।
राजस्थानी मिनिएचर पेंटिंग, मधुबनी चित्रकला, कश्मीर की पश्मीना शॉल।
धातु कला, मिट्टी के बर्तन, संगमरमर की नक्काशी।
निष्कर्ष:
पर्यटन के पारंपरिक संसाधन न केवल भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित रखने में मदद करते हैं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था और रोजगार के अवसरों को भी बढ़ावा देते हैं। इन संसाधनों के उचित संरक्षण और संवर्धन से पर्यटन उद्योग को और अधिक विकसित किया जा सकता है, जिससे स्थानीय समुदायों को भी लाभ मिलेगा।
प्रश्न 06 सामूहिक एवं वैकल्पिक पर्यटन पर एक लेख लिखिए।
सामूहिक एवं वैकल्पिक पर्यटन
परिचय:
पर्यटन उद्योग समय के साथ विकसित हुआ है और इसमें विभिन्न प्रकार की अवधारणाएँ शामिल हो गई हैं। पर्यटन को दो प्रमुख वर्गों में विभाजित किया जा सकता है—सामूहिक पर्यटन (Mass Tourism) और वैकल्पिक पर्यटन (Alternative Tourism)। ये दोनों अवधारणाएँ अलग-अलग उद्देश्यों और प्रभावों के साथ पर्यटन उद्योग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
सामूहिक पर्यटन (Mass Tourism)
अर्थ एवं परिभाषा:
सामूहिक पर्यटन उस प्रकार के पर्यटन को कहा जाता है जिसमें बड़ी संख्या में पर्यटक एक ही स्थान पर एक साथ यात्रा करते हैं। यह मुख्य रूप से लोकप्रिय स्थलों पर केंद्रित होता है और इसमें वाणिज्यिक पर्यटन एजेंसियों की भूमिका प्रमुख होती है।
विशेषताएँ:
बड़ी संख्या में पर्यटकों की भागीदारी – यह पर्यटन एक साथ हजारों पर्यटकों को आकर्षित करता है, जैसे कि ताजमहल, गोवा के समुद्र तट, मनाली, या जयपुर।
संगठित यात्रा कार्यक्रम – यात्रा एजेंसियों द्वारा पूर्व नियोजित टूर पैकेज, जिसमें आवास, भोजन और यात्रा की सुविधा शामिल होती है।
व्यापक बुनियादी ढांचे की आवश्यकता – इसमें होटल, रिसॉर्ट, परिवहन और अन्य सुविधाओं की अधिक मांग होती है।
पर्यावरणीय और सांस्कृतिक प्रभाव – अधिक भीड़ के कारण पर्यावरण और सांस्कृतिक विरासत को नुकसान हो सकता है।
उदाहरण:
आगरा का ताजमहल
गोवा और केरल के समुद्र तट
मनाली, शिमला, मसूरी जैसे हिल स्टेशन
राजस्थान के ऐतिहासिक महल और किले
लाभ:
✔ पर्यटन उद्योग को आर्थिक मजबूती मिलती है।
✔ स्थानीय व्यापार और रोजगार के अवसर बढ़ते हैं।
✔ बुनियादी सुविधाओं और बुनियादी ढांचे का विकास होता है।
हानियाँ:
✖ अत्यधिक भीड़भाड़ से ऐतिहासिक और प्राकृतिक स्थलों को नुकसान होता है।
✖ स्थानीय संसाधनों का अति-दोहन होता है।
✖ पर्यावरणीय प्रदूषण और कचरा प्रबंधन की समस्या उत्पन्न होती है।
वैकल्पिक पर्यटन (Alternative Tourism)
अर्थ एवं परिभाषा:
वैकल्पिक पर्यटन सामूहिक पर्यटन के विपरीत, पर्यावरण, सांस्कृतिक विरासत और स्थानीय समुदायों के प्रति संवेदनशील पर्यटन है। इसमें पर्यावरण संरक्षण, सांस्कृतिक जागरूकता और स्थानीय समुदायों की भागीदारी को बढ़ावा दिया जाता है।
प्रकार एवं विशेषताएँ:
इको-टूरिज्म (Eco-Tourism):
पर्यावरण के अनुकूल पर्यटन।
प्रकृति और वन्यजीवों की सुरक्षा पर बल।
उदाहरण: काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, सुंदरबन, उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र।
सांस्कृतिक पर्यटन (Cultural Tourism):
ऐतिहासिक धरोहर, पारंपरिक कला, संगीत और साहित्य को जानने की रुचि।
उदाहरण: वाराणसी, खजुराहो, अजंता-एलोरा गुफाएँ।
ग्रामीण पर्यटन (Rural Tourism):
ग्रामीण जीवन, स्थानीय हस्तशिल्प और परंपराओं को बढ़ावा।
उदाहरण: राजस्थान के गांवों में होमस्टे, महाराष्ट्र के वाई और पंढरपुर।
धार्मिक पर्यटन (Spiritual Tourism):
धार्मिक स्थलों की यात्रा, आध्यात्मिक अनुभव के लिए।
उदाहरण: चारधाम यात्रा, बौद्ध सर्किट, अमृतसर का स्वर्ण मंदिर।
साहसिक पर्यटन (Adventure Tourism):
जोखिम भरी गतिविधियों पर आधारित पर्यटन।
उदाहरण: मनाली में ट्रेकिंग, लद्दाख में बाइकिंग, ऋषिकेश में रिवर राफ्टिंग।
लाभ:
✔ पर्यावरण और संस्कृति का संरक्षण होता है।
✔ स्थानीय समुदायों को आर्थिक लाभ मिलता है।
✔ पर्यटन स्थलों की दीर्घकालिक स्थिरता बनी रहती है।
हानियाँ:
✖ सीमित संख्या में पर्यटकों की भागीदारी के कारण आर्थिक लाभ धीमा होता है।
✖ जागरूकता और सरकारी समर्थन की कमी से विकास बाधित होता है।
निष्कर्ष:
सामूहिक पर्यटन और वैकल्पिक पर्यटन दोनों के अपने अलग-अलग लाभ और हानियाँ हैं। जहाँ सामूहिक पर्यटन व्यापक आर्थिक लाभ देता है, वहीं वैकल्पिक पर्यटन पर्यावरण और सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण पर अधिक ध्यान देता है। एक संतुलित पर्यटन नीति अपनाकर, पर्यावरणीय और सांस्कृतिक संवेदनशीलता को बनाए रखते हुए आर्थिक विकास को भी सुनिश्चित किया जा सकता है।
प्रश्न 07 पारिस्थितिक पर्यटन से आप क्या समझते है? वर्तमान समय में इसकी प्रासंगिकता को समझाइए।
पारिस्थितिक पर्यटन (इको-टूरिज्म) और इसकी प्रासंगिकता
परिचय:
आज के समय में जब पर्यावरणीय असंतुलन और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएँ बढ़ रही हैं, पारिस्थितिक पर्यटन (Eco-Tourism) एक महत्वपूर्ण अवधारणा के रूप में उभरा है। यह पर्यटन का एक ऐसा रूप है, जिसमें पर्यावरण संरक्षण, स्थानीय समुदायों की भागीदारी और सतत विकास (Sustainable Development) पर जोर दिया जाता है।
पारिस्थितिक पर्यटन की परिभाषा:
पारिस्थितिक पर्यटन एक ऐसा पर्यटन है जो प्राकृतिक स्थलों और जैव विविधता को संरक्षित करते हुए, पर्यटकों को प्रकृति के प्रति संवेदनशील और जागरूक बनाता है। इसके अंतर्गत पर्यावरण को नुकसान पहुँचाए बिना पर्यटन गतिविधियों का संचालन किया जाता है।
पारिस्थितिक पर्यटन की विशेषताएँ:
पर्यावरण संरक्षण: पर्यावरणीय पारिस्थितिकी तंत्र (Ecological System) को क्षति पहुँचाए बिना पर्यटन को बढ़ावा देना।
स्थानीय समुदायों की भागीदारी: स्थानीय लोगों की आजीविका को बढ़ावा देना और उन्हें पर्यटन गतिविधियों में शामिल करना।
शिक्षा और जागरूकता: पर्यटकों को पर्यावरण और जैव विविधता के महत्व के बारे में शिक्षित करना।
सतत विकास: पर्यटन से होने वाले आर्थिक लाभ को दीर्घकालिक रूप से सुनिश्चित करना।
संवेदनशील स्थानों पर नियंत्रण: वन्यजीव अभयारण्यों, पहाड़ी क्षेत्रों और समुद्री तटों जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में नियंत्रित पर्यटन गतिविधियाँ करना।
पारिस्थितिक पर्यटन के प्रमुख स्थल:
भारत में:
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (असम)
सुंदरबन डेल्टा (पश्चिम बंगाल)
केरल का बैकवाटर क्षेत्र
हिमालयी क्षेत्र (उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख)
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह
विश्व में:
कोस्टा रिका (जैव विविधता हॉटस्पॉट)
गैलापागोस द्वीप (इक्वाडोर)
अमेज़न रेनफॉरेस्ट (दक्षिण अमेरिका)
ग्रेट बैरियर रीफ (ऑस्ट्रेलिया)
वर्तमान समय में पारिस्थितिक पर्यटन की प्रासंगिकता:
1. जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण:
ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के कारण पारंपरिक पर्यटन स्थलों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
इको-टूरिज्म प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग को बढ़ावा देता है और कार्बन फुटप्रिंट को कम करता है।
2. जैव विविधता का संरक्षण:
कई दुर्लभ प्रजातियाँ विलुप्ति के कगार पर हैं, पारिस्थितिक पर्यटन उनके संरक्षण में सहायक हो सकता है।
उदाहरण: बाघ संरक्षण (प्रोजेक्ट टाइगर) और कछुआ संरक्षण परियोजनाएँ।
3. स्थानीय समुदायों को आर्थिक लाभ:
ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाता है।
वे पर्यटकों को गाइड, हस्तशिल्प निर्माण और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से अपनी आजीविका चला सकते हैं।
4. सतत पर्यटन और हरित अर्थव्यवस्था:
पारंपरिक पर्यटन के कारण कचरा प्रबंधन, जल संकट और प्रदूषण जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
पारिस्थितिक पर्यटन इन समस्याओं को कम करने में मदद करता है।
5. जिम्मेदार पर्यटन को बढ़ावा:
पारंपरिक पर्यटन में अनियंत्रित भीड़ से प्राकृतिक स्थलों को नुकसान पहुँचता है।
इको-टूरिज्म पर्यटकों को प्राकृतिक स्थलों की सुरक्षा के प्रति जागरूक बनाता है।
निष्कर्ष:
पारिस्थितिक पर्यटन न केवल पर्यावरण संरक्षण का साधन है, बल्कि यह आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी लाभकारी है। वर्तमान समय में जब दुनिया जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक संसाधनों के अति-दोहन से जूझ रही है, तब इको-टूरिज्म एक सतत और संतुलित पर्यटन मॉडल के रूप में उभर रहा है। सरकारों, स्थानीय समुदायों और पर्यटकों को मिलकर इस दिशा में प्रयास करना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रकृति की संपदा सुरक्षित रह सके।
प्रश्न 08 लीपर की पर्यटन प्रणाली पर एक लेख लिखे।
परिचय
पर्यटन एक जटिल और बहुआयामी प्रक्रिया है, जिसमें कई कारक शामिल होते हैं। पर्यटन को समझने के लिए विभिन्न विद्वानों ने कई मॉडल प्रस्तुत किए हैं। इनमें से एक प्रमुख मॉडल "लीपर की पर्यटन प्रणाली" (Leiper’s Tourism System) है, जिसे न्यूजीलैंड के विद्वान नील लीपर (Neil Leiper) ने 1979 में विकसित किया था। यह मॉडल पर्यटन को एक गतिशील और अंतःसंबंधित प्रणाली के रूप में प्रस्तुत करता है, जिसमें विभिन्न घटक आपस में जुड़े होते हैं।
लीपर की पर्यटन प्रणाली का ढांचा
लीपर के अनुसार, पर्यटन प्रणाली में मुख्यतः पाँच घटक होते हैं:
पर्यटक (Tourists)
उत्पत्ति क्षेत्र (Generating Region)
गंतव्य क्षेत्र (Destination Region)
मार्ग क्षेत्र (Transit Region)
पर्यटन उद्योग (Tourism Industry)
इन घटकों के बीच परस्पर संबंध पर्यटन प्रणाली को गतिशील बनाते हैं।
1. पर्यटक (Tourists)
लीपर ने पर्यटन प्रणाली में पर्यटकों को मुख्य घटक माना है।
पर्यटक वे लोग होते हैं जो अपने निवास स्थान से बाहर किसी अन्य स्थान पर यात्रा करते हैं।
इनका उद्देश्य अवकाश, व्यापार, तीर्थयात्रा, चिकित्सा, सांस्कृतिक अनुभव आदि हो सकता है।
पर्यटकों को उनकी यात्रा के उद्देश्य और प्रवास की अवधि के आधार पर विभिन्न श्रेणियों में बाँटा जाता है।
पर्यटकों के प्रकार:
अंतरराष्ट्रीय पर्यटक (International Tourist): जो किसी अन्य देश में यात्रा करते हैं।
घरेलू पर्यटक (Domestic Tourist): जो अपने ही देश के किसी अन्य स्थान पर यात्रा करते हैं।
2. उत्पत्ति क्षेत्र (Tourist Generating Region - TGR)
यह वह स्थान होता है जहाँ से पर्यटक अपनी यात्रा शुरू करते हैं। इसे पर्यटन प्रणाली में सबसे महत्वपूर्ण कारक माना जाता है क्योंकि यही स्थान पर्यटन की माँग उत्पन्न करता है।
विशेषताएँ:
यह वह क्षेत्र होता है जहाँ से पर्यटक यात्रा की योजना बनाते हैं।
इस क्षेत्र में यात्रा एजेंसियाँ, ट्रैवल कंपनियाँ, विज्ञापन और प्रचार की सुविधाएँ होती हैं।
पर्यटक यहाँ से टिकट बुकिंग, वीज़ा, पैकेज टूर आदि की तैयारी करते हैं।
उदाहरण:
भारत में दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु जैसे शहर पर्यटन उत्पत्ति क्षेत्र हो सकते हैं, जहाँ से लोग विभिन्न गंतव्यों की यात्रा के लिए निकलते हैं।
अमेरिका और यूरोप के कई देश प्रमुख पर्यटन उत्पत्ति क्षेत्र माने जाते हैं।
3. गंतव्य क्षेत्र (Tourist Destination Region - TDR)
यह वह स्थान होता है जहाँ पर्यटक यात्रा के लिए जाते हैं। इसे पर्यटन प्रणाली का केंद्रबिंदु माना जाता है क्योंकि यहीं पर पर्यटक अपना समय व्यतीत करते हैं।
विशेषताएँ:
इसमें प्राकृतिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और मनोरंजन स्थल शामिल होते हैं।
यह पर्यटन उद्योग को आर्थिक लाभ प्रदान करता है।
गंतव्य क्षेत्र की सफलता वहाँ उपलब्ध सुविधाओं (होटल, परिवहन, सुरक्षा, मनोरंजन) पर निर्भर करती है।
उदाहरण:
भारत में: ताजमहल (आगरा), गोवा के समुद्र तट, जयपुर के किले, केरल के बैकवाटर, उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर: पेरिस (फ्रांस), दुबई (यूएई), स्विट्ज़रलैंड, बैंकॉक (थाईलैंड)।
4. मार्ग क्षेत्र (Transit Region - TR)
मार्ग क्षेत्र वह स्थान होता है, जहाँ से पर्यटक गंतव्य तक पहुँचने के लिए गुजरते हैं। यह क्षेत्र परिवहन और ठहरने की अस्थायी सुविधाएँ प्रदान करता है।
विशेषताएँ:
यह उत्पत्ति क्षेत्र और गंतव्य क्षेत्र को जोड़ता है।
इसमें हवाई अड्डे, रेलवे स्टेशन, बस स्टॉप, होटल और अन्य सुविधाएँ शामिल होती हैं।
मार्ग क्षेत्र पर्यटन अनुभव को आसान और सुगम बनाने में सहायता करता है।
उदाहरण:
दिल्ली से शिमला जाते समय चंडीगढ़ एक मार्ग क्षेत्र हो सकता है।
यूरोप घूमने के दौरान दुबई या दोहा में स्टॉपओवर एक मार्ग क्षेत्र के रूप में कार्य करता है।
5. पर्यटन उद्योग (Tourism Industry)
पर्यटन उद्योग उन सेवाओं और संगठनों का समूह है जो पर्यटन गतिविधियों को संचालित करने में सहायता करते हैं।
इसमें शामिल प्रमुख घटक:
होटल और रिसॉर्ट
ट्रैवल एजेंसियाँ और टूर ऑपरेटर
परिवहन सेवाएँ (विमान, रेलवे, बस, टैक्सी)
गाइड और टूरिस्ट इंफॉर्मेशन सेंटर
रेस्टोरेंट, शॉपिंग सेंटर और मनोरंजन पार्क
पर्यटन उद्योग की भूमिका:
पर्यटकों को सुविधाएँ प्रदान करना।
पर्यटन स्थलों का प्रचार और विपणन करना।
स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाना।
लीपर की पर्यटन प्रणाली का महत्व
व्यापक दृष्टिकोण: यह पर्यटन को केवल एक गंतव्य केंद्रित गतिविधि न मानकर, एक संपूर्ण प्रणाली के रूप में देखता है।
सरल और प्रभावी मॉडल: यह पर्यटन के प्रमुख घटकों को सरल और व्यवस्थित रूप में प्रस्तुत करता है।
पर्यटन नीति निर्माण में सहायक: सरकारें और पर्यटन संगठन इस मॉडल के आधार पर पर्यटन को व्यवस्थित और विकसित कर सकते हैं।
पर्यटन विकास के लिए मार्गदर्शन: इससे पर्यटन स्थलों का उचित विकास और प्रबंधन किया जा सकता है।
निष्कर्ष:
लीपर की पर्यटन प्रणाली पर्यटन को एक संगठित प्रणाली के रूप में प्रस्तुत करती है, जिसमें पर्यटक, उत्पत्ति क्षेत्र, मार्ग क्षेत्र, गंतव्य क्षेत्र और पर्यटन उद्योग आपस में जुड़े होते हैं। यह मॉडल न केवल पर्यटन के कार्यप्रणाली को समझाने में मदद करता है, बल्कि पर्यटन उद्योग के विकास और योजनाओं के निर्माण में भी सहायक होता है। वर्तमान समय में पर्यटन उद्योग को व्यवस्थित और सतत रूप से विकसित करने के लिए इस मॉडल का उपयोग किया जाता है।
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