GEYS-02 SOLVED QUESTION PAPER 2024

GEYS-02 SOLVED QUESTION PAPER 2024





प्रश्न 01. ऊतकों की संरचना एवं कार्यों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।

उत्तर:


ऊतक जीवित कोशिकाओं के समूह होते हैं, जो एक सामान्य कार्य और संरचना साझा करते हैं। मानव शरीर में मुख्यतः चार प्रकार के ऊतक पाए जाते हैं:


एपिथीलियल ऊतक (Epithelial Tissue):


संरचना: एपिथीलियल ऊतक कोशिकाओं की एक पतली परत होती है जो एक-दूसरे के पास होती हैं और इनके बीच न्यूनतम अंतराल होता है।


कार्य: यह ऊतक शरीर की बाहरी सतहों, आंतरिक अंगों की परतों और ग्रंथियों को कवर करता है। यह अवशोषण, स्रावण, और सुरक्षा में मदद करता है। उदाहरणस्वरूप, त्वचा और आंतरिक अंगों की परतें।


संयोजी ऊतक (Connective Tissue):


संरचना: इसमें कोशिकाएं और अंतर-कोशिकीय पदार्थ होते हैं। इसके विभिन्न प्रकार जैसे कि हड्डी, रक्त, वसा, और रेशेदार ऊतक होते हैं।


कार्य: यह ऊतक शरीर के अंगों को समर्थन और संरचना प्रदान करता है। हड्डी और रक्त जैसे संयोजी ऊतक शरीर की संरचनात्मक और पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।


पेशीय ऊतक (Muscle Tissue):


संरचना: इसमें विशेष प्रकार की कोशिकाएं होती हैं जो संकुचन और विश्राम की क्षमता रखती हैं। मुख्यतः तीन प्रकार के पेशीय ऊतक होते हैं: कंकाली (स्ट्रेटेड), चिकनाई (स्मूथ), और हृदय।


कार्य: पेशीय ऊतक शारीरिक गति और अंगों की गतिविधियों को नियंत्रित करता है। कंकाली पेशीय ऊतक मोटर गतिविधियों में मदद करता है, चिकनाई पेशी आंतरिक अंगों को नियंत्रित करती है, और हृदय पेशी हृदय की धड़कन को नियंत्रित करती है।


तंत्रिका ऊतक (Nervous Tissue):


संरचना: इसमें न्यूरॉन्स और सहायक कोशिकाएं (ग्लिया) होती हैं।


कार्य: यह ऊतक तंत्रिका सिग्नल्स को संचारित करता है, मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के माध्यम से संवेदी और मोटर जानकारी का आदान-प्रदान करता है।


प्रश्न 02. अस्थि तंत्र की रचना एवं कार्यों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।

उत्तर:


अस्थि तंत्र (skeletal system) मानव शरीर का आधारभूत ढांचा है, जिसमें हड्डियाँ, उपास्थियाँ, और जोड़ों का सम्मिलन होता है।


संरचना:


हड्डियाँ (Bones): शरीर में 206 हड्डियाँ होती हैं, जो विभिन्न आकार और प्रकार की होती हैं। ये हड्डियाँ दो मुख्य श्रेणियों में बाँटी जाती हैं: लंबे (long bones), छोटे (short bones), सपाट (flat bones), और असामान्य (irregular bones)।


उपास्थि (Cartilage): हड्डियों की जोड़ने वाली और शरीर के कुछ हिस्सों में संरचना को बनाए रखने वाली लचीली सामग्री।


जोड़ (Joints): हड्डियों के मिलन स्थल होते हैं, जो स्थिर (फिक्स्ड), गतिशील (मूवेबल), या अर्ध-गतिशील (semi-movable) हो सकते हैं।


कार्य:


समर्थन (Support): अस्थि तंत्र शरीर को एक संरचनात्मक ढांचा प्रदान करता है और अंगों को समर्थन देता है।


संरक्षण (Protection): हड्डियाँ महत्वपूर्ण अंगों को सुरक्षा प्रदान करती हैं, जैसे कि खोपड़ी मस्तिष्क की सुरक्षा करती है।


गति (Movement): हड्डियाँ और जोड़ मांसपेशियों के साथ मिलकर शरीर की गति को संभव बनाते हैं।


निर्माण (Production): हड्डियाँ रक्त कोशिकाओं का निर्माण करती हैं, जो अस्थि मज्जा (bone marrow) में होता है।


भंडारण (Storage): हड्डियाँ कैल्शियम और फास्फोरस जैसे खनिजों का भंडारण करती हैं, जो शरीर के विभिन्न कार्यों में उपयोग होते हैं।


प्रश्न 03. परिसंचरण तंत्र की संरचना एवं क्रियाविधि का वर्णन कीजिए।

उत्तर:


परिसंचरण तंत्र (circulatory system) शरीर के विभिन्न हिस्सों में रक्त, ऑक्सीजन, और पोषक तत्वों का परिवहन करता है। इसकी संरचना और कार्य निम्नलिखित हैं:


संरचना:


हृदय (Heart): एक केंद्रीय पंप जो रक्त को शरीर के विभिन्न हिस्सों में पंप करता है। हृदय चार कक्षों में विभाजित होता है: दाहिनी और बाईं एट्रिया और वेंट्रिकल्स।


रक्त वाहिकाएँ (Blood Vessels): ये तीन मुख्य प्रकार की होती हैं: आर्टरीज़ (arteries), वीन (veins), और कैपिलरीज़ (capillaries)। आर्टरीज़ रक्त को हृदय से अंगों तक ले जाती हैं, वीन रक्त को अंगों से हृदय तक वापस लाती हैं, और कैपिलरीज़ कोशिकाओं और ऊतकों के बीच पोषक तत्वों का आदान-प्रदान करती हैं।


रक्त (Blood): रक्त में प्लाज्मा, लाल रक्त कोशिकाएँ (RBCs), सफेद रक्त कोशिकाएँ (WBCs), और प्लेटलेट्स (platelets) शामिल होते हैं।


क्रियाविधि:


ऑक्सीजन और पोषक तत्वों का परिवहन: हृदय ऑक्सीजन युक्त रक्त को आर्टरीज़ के माध्यम से शरीर के विभिन्न अंगों में भेजता है। अंगों में कोशिकाएं इन पोषक तत्वों का उपयोग करती हैं और कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) उत्पन्न करती हैं।


विलुप्त पदार्थों का निष्कासन: रक्त के माध्यम से विलुप्त पदार्थों को अंगों से हृदय तक वापस लाया जाता है, जहां ये किडनी और अन्य अंगों द्वारा निष्कासित होते हैं।


पुनरावृत्ति: हृदय द्वारा धड़कन के साथ रक्त का संचार होता है, जिससे एक सामान्य प्रवाह और दबाव बनाए रखा जाता है।


प्रश्न 04. पेशीय तंत्र पर आसनों के प्रभाव का वर्णन कीजिए।

उत्तर:


आसनों का पेशीय तंत्र पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। ये प्रभाव निम्नलिखित हैं:


संकुचन और लम्बाई: आसन पेशियों को संकुचित करने और लम्बा करने में मदद करते हैं। इससे मांसपेशियों की ताकत और लचीलापन बढ़ता है, जिससे शरीर की गतिशीलता में सुधार होता है।


खिंचाव और स्फूर्ति: नियमित रूप से आसनों का अभ्यास मांसपेशियों को खींचता है और तनाव को कम करता है। यह पेशीय तनाव और मांसपेशियों की कठोरता को कम करता है, जिससे व्यक्ति को बेहतर स्फूर्ति प्राप्त होती है।


पेशीय बल और सहनशीलता: आसनों से पेशियों की ताकत और सहनशीलता बढ़ती है। विशेषकर वज़न उठाने वाले आसन पेशियों को मजबूत बनाते हैं और लंबे समय तक व्यायाम की सहनशीलता में सुधार करते हैं।


रक्त संचार में सुधार: आसनों का अभ्यास रक्त संचार को बेहतर बनाता है। इससे मांसपेशियों को अधिक ऑक्सीजन और पोषक तत्व मिलते हैं, जो उनके स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं।


संतुलन और समन्वय: आसनों से शरीर के विभिन्न हिस्सों में संतुलन और समन्वय में सुधार होता है। इससे पेशीय तंत्र की समन्वय क्षमता बढ़ती है और गिरने की संभावना कम होती है।


प्रश्न 05. उत्सर्जन तंत्र की रचना एवं क्रियाविधि का वर्णन कीजिए।

उत्तर:


उत्सर्जन तंत्र (excretory system) शरीर से अपशिष्ट पदार्थों और विषाक्त तत्वों को बाहर निकालने के लिए जिम्मेदार होता है। इसकी संरचना और क्रियाविधि निम्नलिखित हैं:


संरचना:


किडनी (Kidneys): शरीर में दो किडनी होती हैं जो अपशिष्ट पदार्थों को रक्त से छानकर मूत्र में परिवर्तित करती हैं।


यूरेटर्स (Ureters): ये नलिकाएं मूत्र को किडनी से मूत्राशय तक ले जाती हैं।


मूत्राशय (Bladder): यह एक खोखला अंग होता है जहां मूत्र संग्रहित होता है।


मूत्रमार्ग (Urethra): मूत्राशय से मूत्र को शरीर से बाहर निकालने की प्रक्रिया में मदद करता है।


क्रियाविधि:


फिल्ट्रेशन: किडनी में रक्त को फिल्टर किया जाता है, जिससे अपशिष्ट पदार्थ और अतिरिक्त पानी अलग हो जाते हैं। यह प्रक्रिया ग्लोमेरुलस (glomerulus) में होती है।


रिपैब्ज़ोर्प्शन: किडनी ट्यूब्स (tubules) में आवश्यक तत्वों और पानी को वापस रक्त में पुनः अवशोषित किया जाता है।


स्रावण: कुछ अपशिष्ट पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट्स को रक्त से किडनी ट्यूब्स में सक्रिय रूप से स्रावित किया जाता है।


मूत्र का निष्कासन: संचित मूत्र मूत्राशय से मूत्रमार्ग के माध्यम से बाहर निकलता है।


इस प्रकार, उत्सर्जन तंत्र शरीर की स्वच्छता बनाए रखने के लिए आवश्यक अपशिष्ट पदार्थों का निष्कासन सुनिश्चित करता है।




Short Answer Type Questions 


प्रश्न 01. कोशिका के प्रमुख कार्य बताइए।

उत्तर:


कोशिका, जीवन की आधारभूत इकाई है, और इसके विभिन्न प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं:


ऊर्जा उत्पादन (Energy Production): कोशिकाएं माइटोकॉन्ड्रिया में कोशिका श्वसन की प्रक्रिया के माध्यम से ATP (एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट) का उत्पादन करती हैं, जो ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है। ATP का उपयोग विभिन्न कोशिका कार्यों जैसे संकुचन, स्रावण और यांत्रिक गतिविधियों में होता है।


प्रोटीन संश्लेषण (Protein Synthesis): राइबोसोम्स कोशिका में प्रोटीन का निर्माण करते हैं। यह प्रक्रिया दो मुख्य चरणों में होती है: ट्रांसक्रिप्शन (DNA से mRNA का निर्माण) और ट्रांसलेशन (mRNA से प्रोटीन का निर्माण)। प्रोटीन विभिन्न कार्यों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं, जैसे कि एंजाइम, हार्मोन, और संरचनात्मक तत्व।


अनुवांशिक सामग्री का संरक्षण (Genetic Material Preservation): कोशिका के नाभिक में DNA होता है, जो अनुवांशिक जानकारी को सहेजता है। यह DNA कोशिका विभाजन के दौरान सटीक रूप से दोहराया जाता है, जिससे नई कोशिकाओं में सही अनुवांशिक जानकारी सुनिश्चित होती है।


संज्ञान और सिग्नलिंग (Sensation and Signaling): कोशिकाएं विभिन्न रिसेप्टर्स के माध्यम से बाहरी और आंतरिक सिग्नल्स का जवाब देती हैं। ये सिग्नल्स कोशिका के विभिन्न कार्यों को नियंत्रित करते हैं, जैसे कि हार्मोन रिलीज और प्रतिक्रिया तंत्र।


संजाल निर्माण (Network Formation): कोशिकाएं एक-दूसरे के साथ संचार करती हैं और शरीर में नेटवर्क बनाती हैं, जिससे विभिन्न शारीरिक प्रक्रियाओं का समन्वय होता है। उदाहरण के लिए, तंत्रिका कोशिकाएं तंत्रिका सिग्नल्स के माध्यम से संचार करती हैं।


प्रश्न 02. श्वसन तंत्र की संरचना एवं कार्य बताइए।

उत्तर:


संरचना:


नाक (Nose): नाक वायु को शुद्ध करता है, गर्म करता है, और आर्द्रता प्रदान करता है। इसमें नासिका गुहा, नासिका पाश्र्व (nasal passages), और साइनस शामिल हैं।


फेरींग्स (Pharynx): गले का हिस्सा, जो नाक और मुँह को स्वरयंत्र से जोड़ता है। यह वायु और भोजन को सही दिशा में ले जाने में मदद करता है।


लैरिंक्स (Larynx): स्वर यंत्र, जो वॉइस बॉक्स के रूप में कार्य करता है और वायु को ट्रैकिया में ले जाता है।


ट्रैकिया (Trachea): वायु नलिका, जो लैरिंक्स से फेफड़ों तक वायु ले जाती है। इसमें कर्टिलेज रिंग्स होती हैं जो इसे खुला बनाए रखती हैं।


ब्रोंकाई (Bronchi): ट्रैकिया की शाखाएँ, जो फेफड़ों के विभिन्न हिस्सों में वायु वितरित करती हैं। ये मुख्य ब्रोंकस और उनके उप-विभागों में विभाजित होते हैं।


फेफड़े (Lungs): प्रमुख श्वसन अंग, जो वायु में ऑक्सीजन को अवशोषित करते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालते हैं।


आल्विओली (Alveoli): फेफड़ों में छोटे वायुकोष जहां गैसीय आदान-प्रदान होता है। ये अत्यंत पतले होते हैं, जिससे ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का आदान-प्रदान सुगम होता है।


कार्य:


गैसीय आदान-प्रदान: श्वसन तंत्र ऑक्सीजन को खींचता है और कार्बन डाइऑक्साइड को निकालता है। आल्विओली में गैसीय आदान-प्रदान होता है, जहां ऑक्सीजन रक्त में प्रवेश करती है और कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकलती है।


वायु की शुद्धि और तापमान संतुलन: नाक में हवाई पथ को शुद्ध किया जाता है और तापमान को नियंत्रित किया जाता है, जिससे फेफड़ों में प्रवेश करने वाली वायु ठंडी या गर्म नहीं होती।


वॉइस प्रोडक्शन: स्वर यंत्र आवाज उत्पन्न करता है, जो वायुमार्ग में वायु के प्रवाह द्वारा उत्पन्न होता है और भाषा निर्माण में सहायक होता है।


प्रश्न 03. बड़ी आंत की संरचना एवं कार्य बताइए।

उत्तर:

संरचना:


सीकुम (Cecum): बड़ी आंत की शुरुआत में स्थित थैली जैसे अंग, जो छोटे आंत से बड़ी आंत में प्रवेश करता है। इसमें एपेंडिक्स (appendix) भी जुड़ा होता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली का हिस्सा होता है।


कोलन (Colon): बड़ी आंत का मुख्य हिस्सा, जो चार भागों में विभाजित होता है: आरोही (ascending), क्रॉस (transverse), अवरोही (descending), और सिग्मॉइड (sigmoid)। कोलन की आंतरिक परत में छोटी-छोटी नलिकाएँ होती हैं जो अवशोषण और स्रावण में मदद करती हैं।


रेक्टम (Rectum): बड़ी आंत का अंतिम हिस्सा, जो मूत्रत्याग के लिए जिम्मेदार होता है। यह मल को संचित करता है और मूत्रत्याग के लिए तैयार करता है।


कार्य:


जल और सोडियम का अवशोषण: कोलन में अवशोषण की प्रक्रिया होती है, जिसमें भोजन के अवशेषों से पानी और सोडियम निकालकर मल को ठोस बनाते हैं। यह शरीर की हाइड्रेशन बनाए रखने में मदद करता है।


फेकल पदार्थ का निर्माण: बड़े आंत में अवशोषित पानी के कारण मल ठोस रूप में बदल जाता है, जो अंततः रेक्टम में संचित होता है।


माइक्रो


बायोटा का संतुलन: बड़ी आंत में मौजूद बैक्टीरिया (माइक्रोबायोटा) पाचन में मदद करते हैं और विटामिन K तथा B12 का निर्माण करते हैं। ये बैक्टीरिया आंतरिक संतुलन बनाए रखते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली को समर्थन प्रदान करते हैं।


प्रश्न 04. ऐच्छिक पेशियों पर आसनों का प्रभाव बताइए।

उत्तर:


आसनों का ऐच्छिक पेशियों पर प्रभाव:


शक्ति और सहनशीलता में वृद्धि: नियमित आसनों के अभ्यास से पेशियों की ताकत और सहनशीलता बढ़ती है। विशेष रूप से ताकतवर आसन जैसे प्लांक और चाइल्ड पोज़, पेशियों को मजबूती प्रदान करते हैं और उन्हें लंबी अवधि तक काम करने की क्षमता विकसित करते हैं।


लचीलापन में सुधार: आसन पेशियों के खिंचाव को बढ़ाते हैं, जिससे लचीलापन में सुधार होता है। आसनों के माध्यम से पेशियों को खींचने से मांसपेशियों की लंबाई बढ़ती है, जिससे शरीर की गति की सीमा बढ़ जाती है और जकड़न कम होती है।


कोआर्डिनेशन और संतुलन: आसनों का अभ्यास शरीर के विभिन्न हिस्सों में संतुलन और समन्वय को बढ़ाता है। उदाहरण के लिए, वृक्ष आसन और ताड़ासन जैसे आसन, शरीर की स्थिरता को बेहतर बनाते हैं और मांसपेशियों के समन्वय को सुधारते हैं।


धारण क्षमता में वृद्धि: नियमित आसनों के अभ्यास से पेशियों की धारण क्षमता बढ़ती है। इस अभ्यास से पेशियों की क्षमता होती है कि वे लंबे समय तक संकुचित और शांत रह सकें, जिससे समग्र शरीर की फिटनेस में सुधार होता है।


तनाव में कमी: आसनों से पेशियों में तनाव कम होता है और मानसिक शांति मिलती है। यह पेशियों को आराम प्रदान करता है, जिससे समग्र तनाव और चिंता में कमी आती है।


5. किडनी के कार्यों का वर्णन कीजिए।

उत्तर:


किडनी के प्रमुख कार्य:


फिल्ट्रेशन: किडनी रक्त से अपशिष्ट पदार्थों और अतिरिक्त पानी को छानती है, जो मूत्र में परिवर्तित होते हैं। यह प्रक्रिया ग्लोमेरुलस में होती है, जहां रक्त का प्रेशर अपशिष्ट पदार्थों को छानने में मदद करता है।


रिपैब्ज़ोर्प्शन: किडनी ट्यूब्स में आवश्यक पदार्थों और पानी को वापस रक्त में अवशोषित किया जाता है। यह प्रक्रिया शरीर की जल-नमक संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण होती है।


स्रावण: किडनी में सक्रिय रूप से कुछ अपशिष्ट पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट्स को स्रावित किया जाता है, जो शरीर के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है।


एसिड-बेस संतुलन: किडनी रक्त के pH स्तर को नियंत्रित करती है, जिससे शरीर में एसिड-बेस संतुलन बना रहता है। यह प्रक्रिया शरीर के विभिन्न कार्यों के लिए आवश्यक होती है।


हार्मोन स्रावण: किडनी रेनिन, एरिथ्रोपोइटिन, और कैल्सिट्रिओल जैसे हार्मोन का स्राव करती है। रेनिन रक्त दबाव को नियंत्रित करता है, एरिथ्रोपोइटिन लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण को बढ़ावा देता है, और कैल्सिट्रिओल कैल्शियम अवशोषण को नियंत्रित करता है।


6. मस्तिष्क की संरचना बताइए।

उत्तर:

मस्तिष्क की संरचना:


सेंब्रल कॉर्टेक्स (Cerebral Cortex): मस्तिष्क की बाहरी परत, जिसमें बाईं और दाईं दोहरी संरचनाएं होती हैं। यह क्षेत्र उच्च तंत्रिका कार्यों जैसे सोच, तर्क, और स्मृति से संबंधित होता है।


किश्तक (Cerebellum): मस्तिष्क के पिछले हिस्से में स्थित होता है और मुख्यतः संतुलन, समन्वय और मोटर नियंत्रण के लिए जिम्मेदार होता है। यह शरीर की गति और संतुलन को नियंत्रित करता है।


मस्तिष्क का मध्यभाग (Brainstem): मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को जोड़ता है और महत्वपूर्ण जीवन-रक्षक कार्यों को नियंत्रित करता है, जैसे हृदय की धड़कन, श्वसन और नींद चक्र।


थैलेमस और हाइपोथैलेमस (Thalamus and Hypothalamus): थैलेमस संवेदी संकेतों को मस्तिष्क के विभिन्न हिस्सों में भेजता है, जबकि हाइपोथैलेमस हार्मोनल संतुलन और शरीर के विभिन्न कार्यों को नियंत्रित करता है, जैसे प्यास, भूख और शरीर का तापमान।


7. मेरुरज्जु की संरचना एवं कार्य बताइए।

उत्तर:

संरचना:


मेरुदंड (Spinal Cord): रीढ़ की हड्डी के अंदर स्थित एक लंबी तंतु संरचना है जो मस्तिष्क से शरीर के अन्य हिस्सों तक तंत्रिका सिग्नल्स का आदान-प्रदान करती है। इसमें मुख्यतः ग्रे मैटर (gray matter) और व्हाइट मैटर (white matter) होता है।


गैंग्लिया (Ganglia): मेरुदंड के दोनों ओर स्थित तंत्रिका कोशिकाओं के समूह होते हैं, जो सिग्नल्स के प्रसंस्करण और संचरण में मदद करते हैं।


स्पाइनल नर्व्स (Spinal Nerves): मेरुदंड से निकलकर शरीर के विभिन्न अंगों तक सिग्नल्स भेजती हैं। ये नर्व्स संवेदनशील (sensory) और मोटर (motor) नर्व्स में विभाजित होती हैं।


कार्य:


सिग्नल ट्रांसमिशन: मेरुदंड मस्तिष्क और शरीर के अन्य अंगों के बीच तंत्रिका सिग्नल्स का आदान-प्रदान करता है, जो तंत्रिका प्रतिक्रिया और नियंत्रण के लिए आवश्यक होता है।


रिफ्लेक्स एक्शन: मेरुदंड त्वरित प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करता है, जैसे कि हाथ को जलाने पर तुरंत खींच लेना। ये प्रतिक्रियाएँ मस्तिष्क की प्रक्रिया से पहले ही हो जाती हैं, जिससे त्वरित सुरक्षा सुनिश्चित होती है।


संज्ञान और समन्वय: मेरुदंड शरीर के विभिन्न अंगों के बीच संज्ञानात्मक और मोटर सिग्नल्स को समन्वयित करता है, जिससे शरीर की जटिल गतिविधियों का सुचारू संचालन संभव होता है।


8. कान की संरचना एवं कार्य बताइए।

उत्तर:

संरचना:


बाहरी कान (Outer Ear): इसमें पिनना (pinna) और श्रवण नलिका (ear canal) शामिल होते हैं। पिनना ध्वनि तरंगों को एकत्र करता है और श्रवण नलिका में ध्वनि को निर्देशित करता है।


मध्य कान (Middle Ear): इसमें तीन हड्डियाँ होती हैं - हैमरस (hammer), अनविल (anvil), और स्टेपीज (stapes)। ये हड्डियाँ ध्वनि तरंगों को बेहतर संचारित करने के लिए जिम्मेदार होती हैं।


आंतरिक कान (Inner Ear): इसमें कोक्लिया (cochlea), सेमीसर्कुलर कैनाल्स (semicircular canals), और वेस्टिब्यूल (vestibule) शामिल होते हैं। कोक्लिया ध्वनि तरंगों को विद्युत सिग्नल्स में परिवर्तित करता है, जबकि सेमीसर्कुलर कैनाल्स और वेस्टिब्यूल संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं।


कार्य:


ध्वनि का संचय और संचरण: बाहरी कान ध्वनि तरंगों को पकड़ता है और मध्य कान की हड्डियों के माध्यम से आंतरिक कान में भेजता है। ये हड्डियाँ ध्वनि की तीव्रता को नियंत्रित करती हैं और इसे अधिक स्पष्ट बनाती हैं।


ध्वनि की पहचान: आंतरिक कान में कोक्लिया ध्वनि तरंगों को विद्युत सिग्नल्स में बदलता है, जो तंत्रिका पथ के माध्यम से मस्तिष्क तक पहुँचते हैं। मस्तिष्क इन सिग्नल्स को ध्वनि के रूप में पहचानता है।


संतुलन बनाए रखना: सेमीसर्कुलर कैनाल्स और वेस्टिब्यूल आंतरिक कान में स्थित होते हैं और शरीर के संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये संरचनाएँ सिर की गति और स्थिति को मापती हैं और संतुलन बनाए रखने में मदद करती हैं।